उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने दुष्कर्म और हत्या समेत अन्य गंभीर अपराधों में अब अग्रिम जमानत पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस संबंध में कैबिनेट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश 2024 के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
गंभीर अपराधों पर सख्त रुख
योगी सरकार ने दुष्कर्म और पाक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) एक्ट समेत ऐसे अपराधों में आरोपितों की अग्रिम जमानत पर रोक लगाने का निर्णय लिया है, जिनमें मृत्युदंड की सजा है। इस प्रस्ताव के तहत राज्य में ऐसे अपराधियों को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी।
केंद्र सरकार के प्रावधान
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (अधिनियम संख्या-46, वर्ष 2023) की धारा 482 के अंतर्गत अग्रिम जमानत का प्रावधान किया गया है। इसमें 12 वर्ष और उससे कम आयु की बालिकाओं से दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में अग्रिम जमानत पर रोक है।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा
उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत पर रोक लगाने का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं और बच्चों के मन में राज्य और विधि की सत्ता के प्रति अटूट विश्वास पैदा करना है। यौन उत्पीड़न के गंभीर अपराधों में आरोपित अपनी गिरफ्तारी से बचकर साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
अन्य कानूनों के तहत भी रोक
दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के अलावा विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, एनडीपीएस एक्ट, शासकीय गुप्त बात अधिनियम, उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, और उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम जैसे कानूनों के तहत भी अग्रिम जमानत पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। इन अपराधों में आरोपितों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
गिरफ्तारी से बचने का एकमात्र तरीका: कोर्ट में सरेंडर
इन मामलों में आरोपितों को अपनी गिरफ्तारी से पूर्व जमानत नहीं मिल सकेगी। उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में समर्पण करना होगा। उत्तर प्रदेश में पूर्व में दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर अग्रिम जमानत पर रोक लगाई गई थी। अब इस नए अध्यादेश के जरिए इसे और भी मजबूत किया जाएगा। राज्यपाल की स्वीकृति मिलने पर यह अध्यादेश लागू हो जाएगा।