दिल्ली में पानी को लेकर पैदा हुआ भयंकर संकट, अब काम करेगा सिर्फ वाटर सिक्योरिटी प्लान

दिल्ली में जल संकट अपने चरम पर है। न केवल झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके, बल्कि पॉश कॉलोनियों में भी पानी के लिए लोग बाल्टी लेकर भटक रहे हैं। लुटियन जोन जैसे सबसे पॉश एरिया में भी लोग पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। दिल्ली का जल संकट मानसून के आगमन तक सुधरने की उम्मीद है, लेकिन तेज गर्मी और पड़ोसी राज्यों से जल उपलब्धता की अनिश्चितता के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है।

जल संकट के प्रमुख कारण
दिल्ली का सबसे बड़ा जल संकट का कारण जल क्षेत्र की कमी है। अतिक्रमण के कारण यमुना का बहाव क्षेत्र सिकुड़ गया है, जिससे भूगर्भीय जल स्तर भी कम हो गया है। 2011 में दिल्ली की आबादी 1.1 करोड़ थी, जो अब लगभग दो करोड़ हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2028 तक दिल्ली दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला शहर हो सकता है।

जल स्रोत और कमी
दिल्ली को प्रतिदिन 1200 एमजीडी पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 900 एमजीडी पानी ही उपलब्ध हो पाता है। यमुना, रावी और गंगा नदियों से पानी प्राप्त होता है, लेकिन फिर भी 300 एमजीडी पानी की कमी है। जल विशेषज्ञों का मानना है कि जल शोधन संयंत्रों के बेहतर उपयोग से इस कमी को कम किया जा सकता है।

समाधान के उपाय
जल संकट के समाधान के लिए वर्षा जल संग्रहण को बढ़ावा देना आवश्यक है। बड़ी इमारतों, होटल, मॉल, स्कूल आदि में वर्षा जल संग्रहण अनिवार्य किया जाना चाहिए। यह जल पार्कों, वाहनों की धुलाई और साफ-सफाई के कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। रूफ टॉप वॉटर हार्वेस्टिंग की सोच को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

रीयूज टेक्नोलॉजी का महत्व
दिल्ली जैसे शहरों को हर बूंद का पूरा-पूरा दोहन करना होगा। सीवर और नालों से आ रहे गंदे पानी को साफ कर औद्योगिक सेक्टर में उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए जल शोधन संयंत्रों का उपयोग बढ़ाना चाहिए। लेकिन, वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और इसे सुधारने की आवश्यकता है।

राजनीतिक सामंजस्य की आवश्यकता
दिल्ली का जल स्रोत पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के कारण जल उपलब्धता पर तनाव होने से नागरिकों का जीवन संकट में पड़ सकता है। इसलिए, बेहतर राजनीतिक सामंजस्य और पड़ोसी राज्यों से मिलकर स्थाई समाधान खोजने की आवश्यकता है।

जल संकट का समाधान करने के लिए एक मजबूत ‘वाटर सिक्योरिटी प्लान’ बनाना अत्यावश्यक है। जल स्रोतों की पहचान, उनकी क्षमता और भविष्य की मांग का सही आकलन कर जल संकट का समाधान किया जा सकता है। यदि समय रहते इस पर काम न किया गया, तो दिल्ली का जल संकट भयावह रूप ले सकता है।