दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों को भरने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। पिछले दो साल से स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही थी, और अब सेकेंड ट्रांच (दूसरी क़िस्त) के पदों को भी भरने का काम शुरू हो गया है।
स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में साक्षात्कार प्रक्रिया शुरू
स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज ने ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के तहत वाणिज्य विभाग में साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह लगभग एक दशक बाद हो रहा है जब डीयू कॉलेज ओबीसी कोटे के पदों को भर रहे हैं, जिससे आरक्षित श्रेणी के बेरोजगार युवाओं में खुशी का माहौल है।
कितने पद कहां भरे जा रहे हैं?
डीयू में फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन के अनुसार, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज ने 14 विभिन्न विभागों में 41 ओबीसी सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने का विज्ञापन निकाला है। इनमें बॉटनी (5), केमेस्ट्री (3), कॉमर्स (4), कम्प्यूटर साइंस (2), इकनॉमिक्स (2), इंग्लिश (4), ज्योग्राफी (3), हिन्दी (2), मैथमेटिक्स (3), माइक्रोबायोलॉजी (2), फिजिक्स (3), पॉलिटिकल साइंस (2), संस्कृत (1) और जूलॉजी (5) शामिल हैं। इन पदों में सामान्य वर्ग (12), एससी (6), एसटी (3), ओबीसी (11), ईडब्ल्यूएस (8) और पीडब्ल्यूडी (1) पद हैं।
आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज भी तैयार
डॉ. सुमन ने बताया कि आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज भी 8 विभिन्न विभागों में 26 पदों को भरने की तैयारी कर रहा है। इनमें कॉमर्स (6), कम्प्यूटर साइंस (4), इंग्लिश (2), हिन्दी (3), मैथमेटिक्स (8), फिजिकल एजुकेशन (1), फिजिक्स (1) और संस्कृत (1) पद हैं। इन पदों में सामान्य वर्ग (10), एससी (4), एसटी (2), ओबीसी (5), ईडब्ल्यूएस (3) और पीडब्ल्यूडी (2) पद शामिल हैं।
शिक्षा मंत्रालय का आदेश
शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी ने 24 अगस्त 2021 को बैकलॉग पदों को भरने के संबंध में सर्कुलर जारी किया था। इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रार को निर्देश दिए गए थे। डॉ. सुमन ने बताया कि सेकेंड ट्रांच के अंतर्गत कुल 1282 पदों को भरा जाना है, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत कॉलेज पहले ही इन पदों को भर चुके हैं।
कुलपति से मांग
डॉ. सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से पुनः प्रिंसिपलों को सख्त निर्देश जारी करने की मांग की है ताकि जिन कॉलेजों ने अभी तक ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के पदों को नहीं भरा है, वे जल्द से जल्द इन्हें भरने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
इस प्रक्रिया से उम्मीद की जा रही है कि डीयू कॉलेजों में शिक्षण और अनुसंधान के स्तर में सुधार होगा और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।