दिल्ली-गुरुग्राम में चौंकाने वाला खुलासा : CNG वाहन भी फैला रहे हैं ज़हरीला धुआं! क्या आपका वाहन है ज़िम्मेदार?

सड़कों पर दौड़ते वाहनों के पास PUC (पल्युशन अंडर कंट्रोल) प्रमाणपत्र होना यह दर्शाता है कि वह वाहन प्रदूषण के मानकों के अनुरूप हैं। लेकिन हाल ही में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि PUC प्रमाणित वाहन भी मानक से अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं।

अध्ययन में शामिल 1,11,712 वाहन

दिल्ली और गुरुग्राम में 65 दिनों तक चला अध्ययन

इंटरनेशनल काउंसिल आन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) द्वारा दिसंबर 2022 से अप्रैल 2023 के बीच दिल्ली और गुरुग्राम के 20 स्थानों पर 1,11,712 वाहनों का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में दिल्ली के परिवहन विभाग और गुरुग्राम उपायुक्त कार्यालय ने भी सहयोग दिया। अध्ययन के दौरान वाहनों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, पार्टिकुलेट मैटर (PM) और अल्ट्रावायलेट स्मोक की जांच की गई।

व्यवसायिक वाहनों से अधिक प्रदूषण

निजी वाहनों की तुलना में व्यवसायिक वाहन अधिक प्रदूषणकारी

अध्ययन में शामिल 89 प्रतिशत वाहन BS-IV और BS-VI मानक वाले थे। लेकिन अध्ययन से पता चला कि निजी वाहनों की तुलना में तिपहिया ऑटो, टैक्सी, हल्के व्यवसायिक वाहन और बसें अधिक प्रदूषण फैला रही हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन सभी प्रकार के वाहनों से मानक से 1.5 से 14.2 गुना अधिक पाया गया।

CNG वाहन भी नहीं रहे पीछे

स्वच्छ ईंधन माने जाने वाले CNG वाहनों से भी ज्यादा प्रदूषण

CNG, जिसे स्वच्छ ईंधन माना जाता है, से चलने वाले वाहनों के धुएं में भी नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन मानक से अधिक पाया गया। CNG से चलने वाले हल्के व्यवसायिक वाहनों से 14.2 गुना और टैक्सियों से 4 गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ।

रिमोट सेंसिंग तकनीक पर जोर

अध्ययनकर्ताओं की सिफारिश: प्रदूषण जांच के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक अपनाएं

अध्ययन के नतीजों के आधार पर विशेषज्ञों ने वर्तमान प्रदूषण जांच व्यवस्था पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई है। ICCT भारत के प्रबंध निदेशक अमित भट्ट ने बताया कि पहली बार इस प्रकार का अध्ययन किया गया है और इससे प्रदूषण जांच में रिमोट सेंसिंग तकनीक के इस्तेमाल की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

अध्ययन के प्रमुख आंकड़े

  • अध्ययन में शामिल वाहन: 1,11,712
  • निजी कार: 75.4%
  • टैक्सी: 14.4%
  • दोपहिया व तिपहिया वाहन: 6%
  • हल्के व्यवसायिक वाहन: 2.5%
  • बसें: 1.3%
  • ट्रक: 0.2%

विभिन्न ईंधन से चलने वाले वाहनों का प्रतिशत:

  • पेट्रोल: 45%
  • CNG: 32%
  • डीजल: 23%

विभिन्न BS मानकों वाले वाहनों का प्रतिशत:

  • BS-I: 0.5%
  • BS-II: 2.5%
  • BS-III: 8%
  • BS-IV: 55.5%
  • BS-VI: 33.5%