दिल्ली में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, और अगले साल यह 8500 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। इस साल मई में बिजली की मांग 8302 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जो कि अब तक की सबसे अधिक है। बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस के प्रवक्ता सीपी कामत का कहना है कि बिजली की मांग मुख्यतः मौसम पर निर्भर करती है। गर्मियों में एयर कंडीशनर और कूलर के बढ़ते उपयोग से खपत में वृद्धि होती है।
बढ़ती गर्मी और बिजली की खपत
बिजली कंपनियों के अनुसार, एयर कंडीशनर का इस्तेमाल किसी भी घर या कंपनी की वार्षिक ऊर्जा खपत का 30-50 प्रतिशत तक हो सकता है। राजधानी में पिछले कुछ वर्षों में मई के आखिरी सप्ताह में बिजली की मांग सबसे अधिक दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती गर्मी के कारण लोग अधिकतर समय एसी और कूलर का उपयोग करते हैं, जिससे बिजली की खपत बढ़ जाती है।
बिजली उत्पादन के स्रोत
दिल्ली में रिठाला, राजघाट, गैस टर्बाइन, प्रगति स्टेज-1 और बवाना के संयंत्रों में बिजली का उत्पादन होता है। इसके अलावा तिमारपुर ओखला वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड, दिल्ली म्यूनिसिपल सालिड वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड और ईस्ट दिल्ली वेस्ट प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड भी बिजली उत्पादन करती हैं। दिल्ली ट्रांसको भी पड़ोसी राज्यों से बिजली की खरीद करती है।
पिछले वर्षों की बिजली मांग के आंकड़े
नीचे दिए गए आंकड़े पिछले तीन वर्षों में मई महीने के अंतिम सप्ताह में बिजली की मांग को दर्शाते हैं:
साल 2023:
25 मई: 5630 मेगावाट
26 मई: 5116 मेगावाट
27 मई: 5057 मेगावाट
28 मई: 4833 मेगावाट
29 मई: 4892 मेगावाट
30 मई: 4951 मेगावाट
साल 2022:
25 मई: 4571 मेगावाट
26 मई: 4884 मेगावाट
27 मई: 5811 मेगावाट
28 मई: 6239 मेगावाट
29 मई: 5972 मेगावाट
30 मई: 6461 मेगावाट
साल 2021:
26 मई: 4063 मेगावाट
27 मई: 4470 मेगावाट
28 मई: 4851 मेगावाट
29 मई: 4744 मेगावाट
30 मई: 4505 मेगावाट
31 मई: 4959 मेगावाट
निष्कर्ष
गर्मी के कारण दिल्ली में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो अगले साल की गर्मियों में 8500 मेगावाट की मांग को पूरा करने के लिए तैयारी करनी होगी। बिजली कंपनियों को अब से ही योजनाएं बनानी होंगी ताकि इस बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके और राजधानी में बिजली की निरंतर आपूर्ति बनी रहे।