दिल्ली एम्स में इलाज कराने वालों के लिए बड़ी राहत। अस्पताल ने कैशलेस और डिजिटल भुगतान के लिए स्मार्ट कार्ड सेवा शुरू की है, जिससे अब मरीजों और उनके परिजनों को कैश निकालने या UPI का उपयोग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
5 साल तक वैध रहेगा स्मार्ट कार्ड
इस स्मार्ट कार्ड की खासियत यह है कि इसे बनाने के बाद 5 साल तक कोई शुल्क नहीं लगेगा। यह कार्ड एम्स के हर काउंटर पर मुफ्त में उपलब्ध है। एक बार कार्ड बनाने के बाद आप इसमें जितनी चाहें उतनी राशि डाल सकते हैं। हर लेन-देन पर आपके फोन पर OTP आएगा, जिससे कार्ड का गलत इस्तेमाल नहीं हो सकेगा।

एम्स की नई पहल
दिल्ली एम्स में रोजाना हजारों मरीज आते हैं, और लंबी कतारें लगी रहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एम्स प्रशासन ने मरीजों की सहूलियत के लिए यह स्मार्ट कार्ड सेवा शुरू की है। एम्स के पीआईसी मीडिया सेल इंचार्ज डॉ. रीमा दादा के अनुसार, यह कार्ड डिजिटल भुगतान और पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करेगा।
हर काउंटर पर बन रहा है कार्ड
स्मार्ट कार्ड बनवाने का प्रोसेस बहुत ही आसान है। अस्पताल के हर काउंटर पर इसे बनवाया जा सकता है। मरीज या उनके परिजन अपने यूनिक आइडेंटिटी नंबर (UID) के जरिए यह कार्ड बनवा सकते हैं। UID नंबर डालने के बाद यह कार्ड मोबाइल फोन से लिंक हो जाता है और उसी नंबर पर OTP आता है। इस OTP से पुष्टि होती है कि कार्ड का गलत इस्तेमाल नहीं हो सकता।

खोने पर भी नहीं होगी परेशानी
अगर किसी का कार्ड खो जाता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कार्ड का इस्तेमाल करते वक्त मोबाइल नंबर पर OTP आने के कारण इसका गलत उपयोग नहीं हो सकता। कार्ड खोने पर अस्पताल को सूचित करने पर कार्ड में मौजूदा राशि रिफंड कर दी जाएगी।
सुविधाजनक और सुरक्षित
यह स्मार्ट कार्ड मरीजों और उनके परिजनों के लिए अत्यधिक सुविधाजनक और सुरक्षित है। एक बार में इसमें जितनी भी राशि डालनी हो, डाल सकते हैं और कार्ड वापस करने पर बची हुई राशि वापस ली जा सकती है। यह नई सेवा दिल्ली एम्स में इलाज कराने वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।