दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यातायात की समस्याओं को कम करने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर 32 किमी का नया हाईस्पीड एक्सप्रेसवे बनाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे पूरे क्षेत्र के निवासियों को राहत मिलेगी।
जेवर एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर बनने वाले इस नए एक्सप्रेसवे की लंबाई 28 किमी होगी और इसे 4 किमी लंबे लिंक रोड से जेवर हवाई अड्डे से जोड़ा जाएगा। इससे नोएडा के निवासियों के लिए जेवर एयरपोर्ट तक पहुंचना और भी आसान हो जाएगा।

एनएचएआई से सहयोग की अपेक्षा
नोएडा प्राधिकरण ने पहले ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से सहयोग की मांग की थी, लेकिन एनएचएआई ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि उनका काम केवल नेशनल हाईवे बनाना है। फिर भी, नोएडा प्राधिकरण ने पुनः एनएचएआई को पत्र लिखकर इस पर पुनर्विचार करने को कहा है।
निर्माण के लिए संभावित योजना
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बड़ी सड़क निर्माण कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट दिया जा सकता है। यह एक्सप्रेसवे नोएडा के सेक्टर 128, 135, 150, 151, 168 और ग्रेटर नोएडा के कुछ क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, जिससे इन क्षेत्रों के वाहन चालकों को बड़ी राहत मिलेगी।
आर्थिक निवेश और लागत
इस नए एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 2 से 2.5 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस लागत को केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करेंगी। इसके अलावा, पुश्ता सड़क के 11 किमी के हिस्से का निर्माण पहले से ही किया जा चुका है और इसे 2014 में ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया था।

लाभान्वित शहर
इस नए एक्सप्रेसवे से हरियाणा के फरीदाबाद, बल्लभगढ़, दिल्ली के बदरपुर, नेहरु प्लेस और नोएडा के निवासियों को सीधा फायदा होगा। इससे नोएडा एक्सप्रेसवे पर वाहनों का बोझ कम होगा और यातायात सुगम और समयबद्ध बनेगा। साथ ही, इसे दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास मुंबई-वड़ोदरा एक्सप्रेसवे से भी जोड़ने की योजना है।
नोएडा एयरपोर्ट से जुड़ने के अन्य विकल्प
नोएडा प्राधिकरण इसके अलावा दो और नए विकल्पों पर विचार कर रहा है। पहला, 19 किमी लंबा पुश्ता रोड को ठीक कराया जाए, और दूसरा, एक्सप्रेसवे के ऊपर एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाए। हालांकि, एनएचएआई के सर्वे के बाद ही तय होगा कि कौन सा विकल्प सबसे बेहतर रहेगा।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर यह नया हाईस्पीड मार्ग न केवल यातायात को आसान बनाएगा, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी गति देगा।